
होलिका दहन हर चौराहे पर होलिका दहन किया गया
होलिका दहन को सभी हिन्दू समाज में विधिवत पूजा कर होलिका दहन किया जाता है मारवाड़ी समाज का पूजा देखने योग होता महिलाएं बहुत ही उमंग के साथ पूजा करती है। और इसका क्या महत्व होता जाने
होलिका दहन की कहानी, भक्त प्रहलाद और असुर राजा हिरण्यकश्यप से जुड़ी है. इस कहानी के मुताबिक, हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली थी. लेकिन, भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया. इसी घटना को याद करते हुए हर साल होलिका दहन किया जाता है. हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारना चाहता था लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई. ऐसे में हर साल होलिका दहन पर लकड़ियों का ढेर जलाया जाता है और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है
असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई।